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    अखिलेश को नेशनल प्रेसिडेंट बनाने का एलान, 3 दिन में दूसरी बार रामगोपाल सपा से बाहर; अब मुलायम ने बुलाया अधिवेशन

    अखिलेश को नेशनल प्रेसिडेंट बनाने का एलान, 3 दिन में दूसरी बार रामगोपाल सपा से बाहर; अब मुलायम ने बुलाया अधिवेशन


    अखिलेश को नेशनल प्रेसिडेंट बनाने का एलान, 3 दिन में दूसरी बार रामगोपाल सपा से बाहर; अब मुलायम ने बुलाया अधिवेशन

    लखनऊ.समाजवादी पार्टी में मचा घमासान थमता नजर नहीं आ रहा। पार्टी महासचिव रामगोपाल यादव को 3 दिन में दूसरी बार सपा से छह साल के लिए बाहर कर दिया गया है। इससे पहले रविवार को लखनऊ के जनेश्वर मिश्र पार्क में हुए पार्टी के अधिवेशन में रामगोपाल ने 3 प्रस्ताव पास किए। शिवपाल यादव को स्टेट प्रेसिडेंट पोस्ट से हटाया गया। अमर सिंह को पार्टी से बाहर किया गया और अखिलेश यादव को नेशनल प्रेसिडेंट बनाया गया। हालांकि, मुलायम ने अखिलेश के अधिवेशन को खारिज कर 5 जनवरी को दोबारा अधिवेशन बुलाया है। मुलायम को बनाया संरक्षक...
    #पहला प्रस्‍ताव-अखिलेश को पार्टी का नेशनल प्रेसिडेंट बनाया गया। रामगोपाल ने कहा अखिलेश को यह अधिकार है कि राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी, संसदीय बोर्ड और देश के सभी संगठनों का जरूरत के मुताबिक गठन करें। इस प्रस्‍ताव की सूचना चुनाव आयोग को दी जाएगी।
    #दूसरा प्रस्‍ताव- मुलायम को समाजवादी पार्टी का संरक्षक बनाया गया।
    #तीसरा प्रस्‍ताव- शिवपाल यादव को पार्टी के स्टेट प्रेसिडेंट के पद से हटाया गया और अमर सिंह को पार्टी से बाहर किया गया।
    अब मुलायम ने बुलाया अधिवेशन
    - अधिवेशन से ठीक पहले मुलायम सिंह यादव ने लेटर जारी कर रामगोपाल के बुलाए अधिवेशन को पार्टी संविधान के खिलाफ बताया।
    - मुलायम ने फैसले से पहले शिवपाल के साथ बैठक की थी। कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रजापति भी मुलायम से मिलने पहुंचे थे।
    - इस अधिवेशन के लिए शहर में लगे पोस्टर होर्डिंग्स से शिवपाल की तस्वीरें भी गायब रहीं। इस समारोह में शिवपाल और मुलायम नहीं पहुंचे।
    - अब मुलायम ने 5 जनवरी को जनेश्वर मिश्र पार्क में ही दोबारा पार्टी का अधिवेशन बुलाया है। इसमें कोई बड़ा एलान हो सकता है।
    अखिलेश बोले- मेरे खिलाफ लेटर लिखने के लिए घर से टाइपराइटर लाए
    - अधिवेशन में अखिलेश ने शिवपाल यादव पर निशाना साधा। 
    - उन्होंने कहा, "नेताजी ने मुझे मुख्यमंत्री बनाया था और इन लोगों ने मेरे खिलाफ साजिश करके न केवल पार्टी को नुकसान पहुंचाने का काम किया, वहीं राष्ट्रीय अध्यक्ष जी के सामने भी संकट पैदा किया।" 
    - 'नेताजी के खिलाफ साजिश हो तो मेरी जिम्मेदारी बनती है कि मैं ऐसे लोगों के खिलाफ बोलूं। लोगों ने अपने घर से टाइपराइटर लाकर मेरे खिलाफ चिट्ठियां छपवाईं।"
    - बता दें कि शुक्रवार को मुलायम ने जब रामगोपाल को पार्टी से निकालने का एलान किया था, तब शिवपाल ने उनके कान में कहा था कि अखलेश को निकालने का भी एलान कर दें, लेटर टाइप हो रहा है।
    नेताजी का पहले से ज्यादा सम्मान करूंगा
    - अखिलेश ने यह भी कहा, "मैं नेताजी का जितना सम्मान पहले करता था, राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर उससे ज्यादा सम्मान करूंगा।"
    - "नेताजी का जो स्थान है, वह सबसे बड़ा स्थान है। मैं नेताजी का बेटा हूं और रहूंगा। ये रिश्ता कोई खत्म नहीं कर सकता। परिवार के लोगों को बचाना पड़ेगा तो वह करूंगा।"
    रामगोपाल बोले- अखिलेश के साथ साजिश हुई
    - अधिवेशन में पार्टी महासचिव रामगोपाल यादव ने कहा, "पार्टी के दो व्‍यक्तियों ने साजिश करके अखिलेश को प्रदेश अध्‍यक्ष पद से हटा दिया। इसके बाद सब आपके सामने है।" 
    - "इसमें बहुत से लोगों को निष्कासित कर दिया गया। इसके बाद संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाए बगैर ही टिकट बांट दिए गए। ये लोग नहीं चाहते कि अखिलेश फिर सीएम बनें।"
    इसलिए निकाले गए रामगोपाल
    - शनिवार को अखिलेश और रामगोपाल की पार्टी में वापसी के बाद माना जा रहा था कि सपा में सब कुछ ठीक हो गया है। 
    - मुलायम और शिवपाल भी मान रहे थे कि अब 1 जनवरी को रामगोपाल की ओर से बुलाया गया अधिवेशन कैंसिल कर दिया जाएगा।
    - शिवपाल को लग रहा था कि यह अखिलेश का शक्ति प्रदर्शन है। 
    - शिवपाल सुबह मुलायम सिंह से मिले थे इसके बाद अधिवेशन को असंवैधानिक घोषित करने का लेटर जारी किया गया। 
    - इसके बाद भी अधिवेशन हुआ। उसमें तीन बड़े प्रस्ताव भी पारित कर दिए गए। 
    - इस बगावत का जिम्मेदार रामगोपाल को माना गया। आरोप यह भी है कि रामगोपाल बीजेपी को फायदा पहुंचाने के लिए यह सब कर रहे हैं।
    - उन्हें मुलायम सिंह के अपमान का भी जिम्मेदार माना गया। इसके बाद ही उन्हें फिर एक बार छह साल के लिए पार्टी से बाहर कर दिया गया।
    लेटर हेड पर नहीं है रामगोपाल का निष्कासन
    - गौर करने वाली बात है कि अधिवेशन का खारिज करने वाला लेटर मुलायम सिंह यादव के लेटर हेड पर जारी किया गया था, लेकिन रामगोपाल को पार्टी से बाहर करने वाला लेटर सादे कागज पर है। इसमें सिर्फ नीचे की तरफ मुलायम सिंह यादव के दस्तखत हैं।
    - कहा जा रहा है कि इससे अखिलेश की वह बात साबित होती है कि नेताजी से कोई भी किसी भी कागज पर दस्तखत करवा सकता है।

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